भाजपा सरकार मे भू माफिया हावी सांसद निधि से बना भवन पर चलाई जेसीबी।
चन्दगीराम मिश्रा
हरदोई
मल्लावां हरदोई, नगर में आज करीब 20 वर्षों से एक भूमाफिया ट्रस्ट की आड़ में लोगों की जमीनों पर कब्जा करना, बने हुए मकानों को गिराकर उनके दरवाजे और घरों में रखे कीमती सामान को दिनदहाड़े उठा लेना वर्तमान सरकार की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हैं।दिनदहाड़े इतने बड़े कांड को करना कहीं ना कहीं बडे भू माफियाओं के संरक्षण का भी इशारा करता है। पीड़ित की शिकायत करने के बावजूद भी उसकी रिपोर्ट ना लिखा जाना वास्तव में वर्तमान भाजपा सरकार पर भू माफिया सरकार का हावी होना दिखाई देता है। लखनऊ के रहने वाले ज्ञानेश्वर शुक्ला जो मूल निवासी मोहल्ला बाजीगंज के हैं उन्होंने मल्लावां थाने में एक प्रार्थना पत्र देते हुए बताया कि उनके यहां मकान पर जेसीबी द्वारा 14 सितंबर को लगभग सुबह 9:00 बजे इंद्रपाल उर्फ अशोक पुत्र चंद्रिका निवासी गोवर्धनपुर, मनीष पुत्र श्रीपाल कनौजिया, पीयूष पुत्र रामावतार, हर्ष उर्फ हरशु पुत्र पीयूष, बेबी पत्नी पीयूष, दीपू राठौर पुत्र सोने लाल राठौर ने महाराज लोकेश्वर की गद्दी पर निर्मित भवन, वेद मंदिर का चबूतरा , संस्कृत महाविद्यालय के बच्चों का छात्रावास, उनके पूर्वजों द्वारा निर्मित कच्चा मकान, हैंड पंप ,प्याऊ, कुआं सब गिरा दिया गया वहीं भवन से निकले हुए दरवाजा चौखट धन्नी कीमती सामान उठा ले गए। ज्ञानेश्वर शुक्ल द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के अनुसार दूसरे दिन 15 सितंबर को शाम 5:00 बजे पुनः उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा एक बार फिर से शेष बचे हुए भवन को जेसीबी मशीन के द्वारा महाराज जय रत्न अन्नपूर्णा सरस्वती विद्या मंदिर में सांसद जयप्रकाश की निधि से बने कक्ष को भी ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने बताया कि कक्ष में रखा हुआ कीमती सामान धन्नी लोहे की ग्रिल आदि को भी उठा ले गये।
इसके पहले 30 अगस्त को विद्यालय भवन में लगा 10 कुंतल लोहे का गेट खंबे गिराकर उठा ले गए थे। दी गई तहरीर में बताया गया कि इंद्रपाल उर्फ अशोक गिरोहबंद हिस्ट्रीशीटर भू माफिया है वर्तमान समय में इसके कार्यों को कानूनी रूप से धोखा देने के लिए इसका वकील पुत्र विजय प्रकाश भी इसके अपराध में सम्मिलित होकर अपने पिता का सहयोग करता है।
ज्ञानेश्वर शुक्ला ने बताया कि संस्कृत महाविद्यालय सन 1758 ई॰ से इसी परिसर में स्थापित एवं संचालित है। उन्होंने बताया कि किसी राजा ने , अंग्रेज शासकों ने व आजादी के बाद जमींदार व प्रशासन ने स्कूल व स्कूल छात्रावास लोकेश्वर महाराज की गद्दी वेद मंदिर को ना तो छति पहुंचाई गई और ना ही कभी हटाया गया। समाचार लिखे जाने तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाई थी।