बंजारी माता मंदिर हाहालददी में 591 आस्था ज्योत प्रज्वलित, देश-विदेश से श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा
पत्रकार- स्वतंत्र नामदेव
कांकेर जिला ब्यूरो
दुर्गूकोदल, 22 सितम्बर 2025।शारदीय नवरात्र पर्व के शुभ अवसर पर ग्राम हाहालददी स्थित प्रसिद्ध बंजारी माता मंदिर में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस पावन अवसर पर विशेष मुहूर्त में 591 आस्था ज्योत प्रज्वलित की गईं। कार्यक्रम का शुभारंभ वेद मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ पंडित तामेश्वर प्रसाद तिवारी द्वारा संपन्न किया गया।
नवरात्र पर्व पर हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचकर आस्था ज्योत प्रज्वलित करते हैं, लेकिन इस बार का आयोजन विशेष रहा क्योंकि इसमें न केवल विभिन्न राज्यों से बल्कि विदेश से भी श्रद्धालुओं ने सहभागिता की। जानकारी के अनुसार, इस वर्ष की आस्था ज्योत में जर्मनी से भी आस्था जोड़ी गई, जो मंदिर परिसर में चर्चा का विषय बना रहा।
देश के कई राज्यों—मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड आदि से आए श्रद्धालुओं ने माता रानी के चरणों में दीप अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि और मंगलकामनाएँ मांगीं। मंदिर परिसर भक्ति और उत्साह से सराबोर रहा।
आस्था ज्योत प्रज्वलन समारोह में मंदिर समिति की सक्रिय भूमिका रही। इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष हरिश्चंद्र सिंन्हा, उपाध्यक्ष सावत साहू, सचिव भूपेंद्र सिंन्हा, सहसचिव गोवर्धन नरेटी, कोषाध्यक्ष सोहनलाल सिंन्हा प्रजापति सहित समिति सदस्य अनिल सिंन्हा, राजेंद्र सिंन्हा, मोहन सिंन्हा, मनोहर मांझी, जीवन सिंन्हा तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान मंदिर परिसर में मां दुर्गा के जयकारे गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने पारंपरिक परिधान में माता के दर्शन किए और आस्था ज्योत प्रज्वलित कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। समिति द्वारा मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की गई थी, जिसमें प्रसाद वितरण और जलपान की व्यवस्था भी शामिल रही।
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना था कि बंजारी माता मंदिर में नवरात्र के दौरान हर वर्ष विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं, लेकिन इस वर्ष 591 आस्था ज्योत प्रज्वलन और उसमें विदेश से जुड़े श्रद्धालुओं की भागीदारी इस आयोजन को ऐतिहासिक बना गई।
समारोह का समापन माता रानी की आरती और जयकारों के साथ हुआ। श्रद्धालु भक्ति और उल्लास से ओतप्रोत होकर अपने घरों को लौटे और आने वाले नौ दिनों तक श्रद्धा के साथ उपवास व पूजा-अर्चना करने का संकल्प लिया।