क्राइम ब्यूरो _ मोहम्मद अहमद
जिला बाराबंकी
*वायरल वीडियो ने उठाए सवाल: क्या झूठे मुकदमों के जरिए पतियों को फंसाने की बन रही है साज़िश*
*परिवार न्यायालय परिसर में महिला द्वारा पति से मारपीट और धमकी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, पीड़ित ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर लगाई गुहार*
बाराबंकी, लखनऊ। एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला न्यायालय परिसर में एक युवक से मारपीट करती और उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देती नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो लखनऊ के परिवार न्यायालय का है, जहां महिला अपने पति को धमकाते हुए कहती हैं—“तेरे पूरे परिवार को झूठे मुकदमों में फंसा कर जेल भिजवा दूंगी।” वीडियो में महिला के साथ उसका पिता भी मौजूद दिख रहा है, जो कथित रूप से उसे सहयोग करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, महिला की पहचान साधना सैनी और उसके पिता की पहचान माताफेर सैनी निवासी बी/470 सेक्टर ए सीतापुर रोड योजना अलीगंज जनपद लखनऊ के रूप में की जा रही है। वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि महिला, पास में पड़ी ईंट से युवक पर हमला करने की कोशिश करने ही जा रही थी, तभी वीडियो रिकॉर्ड होता देख उसका पिता वहां से हट गया।इस घटना ने समाज में एक बार फिर उस बहस को हवा दे दी है, जिसमें दावा किया जाता है कि कुछ मामलों में महिलाएं दहेज, घरेलू हिंसा और अन्य कानूनों का दुरुपयोग कर पुरुषों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करती हैं। वीडियो में दिखाई दे रहा युवक संजय बाराबंकी जिले का निवासी बताया जा रहा है। जब उसका भाई उसे बचाने आता है, तो महिला उसकी ओर भी आक्रामक होकर कहती है—"तुझे भी अंदर करवा दूंगी।" हालांकि, वायरल वीडियो की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह घटना लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय की ही है। पीड़ित पक्ष ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल सहित अन्य संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को इस प्रकरण की शिकायत भेजी है और न्याय की मांग की है। यह कोई पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर इस तरह की घटना सामने आई हो। इससे पहले भी कई वीडियो और बयान सामने आ चुके हैं, जिनमें पुरुष वर्ग ने खुद को झूठे मुकदमों का शिकार बताते हुए अपनी पीड़ा साझा की है। इसी क्रम में कई सामाजिक संगठनों द्वारा ‘पुरुष आयोग’ की स्थापना की मांग भी उठाई गई है, जिससे ऐसे मामलों में संतुलित न्याय सुनिश्चित किया जा सके। जहां एक ओर महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं, वहीं इन कानूनों के संभावित दुरुपयोग पर भी गंभीर चर्चा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।वायरल वीडियो भले ही जांच के अधीन हो, लेकिन यह निश्चित तौर पर दर्शाता है कि पारिवारिक न्यायालय जैसे संवेदनशील स्थानों पर भी अब विवादों की प्रकृति उग्र और सुनियोजित होती जा रही है। प्रशासन और न्यायपालिका से उम्मीद की जाती है कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच कर न्याय सुनिश्चित करे—ताकि न तो कोई निर्दोष सज़ा पाए और न ही कोई कानून का ढाल बनाकर दूसरों का शोषण कर सके।