मूसलधार बारिश से उखड़ी विकास की परतें: चित्रकूट में कई सड़कों और रपटों को बहा ले गई बाढ़, निर्माण कार्यों की पोल खुली
ब्यूरो रिपोर्ट - पंकज तिवारी, TTN24 न्यूज़
जनपद चित्रकूट में बीते दिनों हुई मूसलधार बारिश ने जहां जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया, वहीं सरकारी निर्माण कार्यों की हकीकत भी उजागर कर दी। तेज बारिश के चलते जिले के मानिकपुर, मऊ, रामनगर और कर्वी क्षेत्रों में कई सड़कों और रपटों की मिट्टी बह गई, पुलों के रैम्प ध्वस्त हो गए और संपर्क मार्ग पूरी तरह बाधित हो गए।सबसे गंभीर स्थिति मानिकपुर विकासखंड के बरदहा नदी पुल, सकरौहा-चमरौहां रपटा और टेढ़वा गांव के पास बने संपर्क मार्ग की सामने आई, जहां तेज बहाव में सड़कें कटकर बह गईं। कई जगहों पर नवनिर्मित संरचनाएं उद्घाटन से पहले ही ढह गईं, जिससे यह सवाल उठना लाज़मी हो गया है कि आखिर इन निर्माणों में कितनी गुणवत्ता और पारदर्शिता बरती गई?ग्रामीणों का कहना है कि बारिश तो हर साल होती है, लेकिन इस बार जिन सड़कों और रपटों को नया बनाया गया था, उनका हाल पहले से भी बदतर हो गया। इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं निर्माण कार्यों में भारी लापरवाही और भ्रष्टाचार हुआ है। कई ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि सिर्फ कागजों पर काम हुआ, ज़मीनी स्तर पर नहीं।
बाढ़ के असर से प्रभावित इलाकों में स्थिति इस प्रकार रही:मानिकपुर: बरदहा नदी के पुल का रैम्प ध्वस्त
सकरौहा–चमरौहां: संपर्क रपटा जलमग्न और मिट्टी कटाव
टेढ़वा: रपटा के किनारे सड़क ध्वस्त
प्रशासन की निष्क्रियता भी आई सामने :- बारिश से पहले किसी भी इलाके में सुरक्षा या चेतावनी के कोई विशेष इंतज़ाम नहीं किए गए थे। न ही जलभराव से निपटने के लिए पर्याप्त नाले खोदे गए थे। इससे पता चलता है कि जिला प्रशासन मानसून को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं था।
जनता का गुस्सा और मांगें :- ग्रामीणों ने मांग की है कि जिले में हुए सभी निर्माण कार्यों की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही, राहत और पुनर्निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जाए ताकि आमजन को दोबारा किसी संकट का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष :- एक ओर सरकार विकास के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रकृति की पहली ही मार में यह विकास बहता नजर आ रहा है। चित्रकूट में आई इस बाढ़ ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया, बल्कि भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंसे विकास कार्यों की पोल भी खोल दी है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है – सुधार का या सिर्फ बयानबाजी का।