रेहान ख़ान फर्रुखाबाद
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मोहर्रम का चांद दिखा, गूंजी सदाए-या-हुसैन:
फर्रुखाबाद में शिया बहुल इलाकों में सजाए गए इमामबाड़े, शुरू हुईं मजलिसें|
मौलाना सदाकत हुसैन ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में मनाया जाने वाले इस्लामिक माह मोहर्रम शुरू हो गया। इसके साथ ही शिया समुदाय के लोग काले लिबास में आ गए और गम में डूब गए हैं। शिया मुस्लिम बहनों ने अपनी सुहाग की निशानियां इमाम के गम में उतार दी और चूड़ियां इमामबाड़ों में तोड़ दी।इमाम हुसैन के गम में शिया मुसलमान 2 महीना 8 दिन गम मनाएंगे। सन 61 हिजरी में ईराक के कर्बला शहर में जालिम बादशाह यजीद ने इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों जिनमे एक 6 माह का बच्चा भी था। उन्हें तीन दिन का भूखा और प्यासा मोहर्रम की 10 तारीख को शहीद कर दिया था। उसी याद में शिया समुदाय के लोग मोहर्रम मनाते हैं।
चांद दिखते ही गूंजी सदाए या हुसैन मोहर्रम का चांद दिखते ही शिया बहुल क्षेत्रों घेरशामू खा, भूरा वाली गली, मादारबाड़ी, खटकपुरा, भीकमपुरा, बंगशपुरा, नख़ास, मनिहारी, बजरिया, भाऊटोला,आदि में मजलिसों का दौर शुरू हो गया। मजलिसों में मौलाना ने इमाम हुसैन और उनके परिजनों की मदीना से कर्बला के सफर पर निकलने का वाक्या पढ़ा और इस वाक्ये को सुनकर लोगों की आंखें नम हो गईं।
10 दिन तक निकलेंगे विभिन्न जुलूस,
मजलिसें से विधिवत शहर में सैकड़ों मजलिसे सुबह से लेकर देर रात तक आयोजित होगी,और लोग दरगाहों, इमामबाड़ों में पहुंचकर इमाम हुसैन को खिराज ए अकीदत पेश करेंगे।