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बाराबंकी: बिना लाइसेंस मेडिकल पर छापा: ₹31,000 की दवाएं सीज, मगर 'क्लोज कॉन्टैक्ट' मेडिकल स्टोर्स पर चुप्पी क्यों

 क्राइम ब्यूरो _ मोहम्मद अहमद 

जिला बाराबंकी 

*बिना लाइसेंस मेडिकल पर छापा: ₹31,000 की दवाएं सीज, मगर 'क्लोज कॉन्टैक्ट' मेडिकल स्टोर्स पर चुप्पी क्यों?*


*सूत्रों के खुलासे ने खोली पोल, उठे सवाल:*


*सूत्रों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब औषधि निरीक्षक सीमा सिंह ने बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर्स पर कार्रवाई की*


फतेहपुर, बाराबंकी। जिलाधिकारी बाराबंकी के निर्देश पर जनपद में अवैध औषधियों के क्रय-विक्रय की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के अंतर्गत आज दिनांक 09 जून 2025 को औषधि निरीक्षक सीमा सिंह ने थाना घुँघटेर क्षेत्र के ग्राम अकंभा घाट में बिना लाइसेंस संचालित मेडिकल स्टोर ‘श्री राधा मेडिकल स्टोर’ पर छापेमारी की। यह मेडिकल स्टोर मोनू पुत्र सतगुरु एवं कुलदीप यादव पुत्र सुंदर लाल, दोनों निवासी ग्राम डिंगरी, द्वारा संचालित किया जा रहा था। छापे के दौरान मौके से लगभग ₹31,000 मूल्य की एलोपैथिक दवाएं जब्त की गईं और एक औषधि का नमूना विश्लेषण के लिए संग्रहित किया गया। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दोषियों के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दाखिल किया जाएगा। सूत्रों के खुलासे ने खोली पोल, उठे सवाल: सूत्रों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब औषधि निरीक्षक सीमा सिंह ने बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर्स पर कार्रवाई की है। हाल ही में नबीगंज क्षेत्र के पीरबटावन में भी कई दुकानों पर छापा मारा गया था। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि कुछ मेडिकल स्टोर जिन्हें “ऊपर” का संरक्षण प्राप्त है, वो कैसे इस कार्रवाई से बच गए? स्थानीय मेडिकल स्टोर संचालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक मेडिकल एसोसिएशन का जिला अध्यक्ष, जो स्वयं को "मैडम" का बेहद करीबी बताते हैं, खुलेआम ₹5000 महीना वसूली कर अवैध कारोबार को संरक्षण दिलवाते हैं। आरोप है कि उसी व्यक्ति के मेडिकल स्टोर पर नशीली दवाएं खुलेआम बिक रही हैं, फिर भी वहां कोई कार्रवाई नहीं होती। क्या कानून सबके लिए बराबर नहीं? जनता और स्थानीय व्यापारी वर्ग का यह भी सवाल है कि जब कार्रवाई हो रही है, तो “चुनी हुई” दुकानों को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? जिन मेडिकल स्टोर्स से लगातार अवैध नशीली दवाओं की आपूर्ति होती है, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं? जिले में स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर उठते इन सवालों ने अब प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना यह होगा कि जिलाधिकारी इन गंभीर आरोपों पर क्या संज्ञान लेते हैं।

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