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दरभंगा: डॉ जगत नारायण नायक रचित काव्य पुस्तिका "भक्त और भगवान" का शिक्षाविदों एवं डॉक्टरों ने किया विमोचन

 दरभंगा, बिहार से


*डॉ जगत नारायण नायक रचित काव्य पुस्तिका "भक्त और भगवान" का शिक्षाविदों एवं डॉक्टरों ने किया विमोचन*


*राजेश कुमार मिश्रा की रिपोर्ट,

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*काव्य समाज का दर्पण एवं पथ- प्रदर्शक के साथ ही समाज का प्रेरणा स्रोत एवं लोक भावनाओं का प्रतिनिधि- प्रो प्रभाष चन्द्र* 


*23 कविताओं वाली इस पुस्तिका के सभी पृष्ठ रंगीन एवं सचित्र, जिसे कवि ने की अपने पुण्य श्लोक माता- पिता को समर्पित*


*सीताराम नायक का व्यक्तित्व एवं कृतित्व स्मरणीय, प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय, जिनके सपनों को जीवंत करना जरूरी- डॉ शंभू नाथ* 


मधुबनी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं श्री राम जानकी सेवा संस्थान, दरभंगा के अध्यक्ष डॉ जगत नारायण नायक रचित नयी काव्य- पुस्तिका "भक्त और भगवान" का 'मां जानकी पिता सीताराम सेवा संस्थान', दरभंगा तथा भारत विकास परिषद् , भारती- मंडन शाखा, दरभंगा के तत्वावधान में शहर के अनेक शिक्षाविदों एवं डॉक्टरों के द्वारा दरभंगा के स्थानीय रेडियो स्टेशन रोड स्थित महाराज होटल के सभागार में विमोचन किया गया। 

समारोह में ल ना मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व डीन प्रो प्रभाष चन्द्र मिश्र, श्रीनारायण मेडिकल कॉलेज, सहरसा के प्रधानाचार्य डॉ दिलीप कुमार झा, मिथिला विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डॉ आर एन चौरसिया, मिल्लत कॉलेज के प्राध्यापक डॉ सिया राम प्रसाद, मारवाड़ी कॉलेज के बर्सर डॉ अवधेश प्रसाद यादव, पूर्व सिविल सर्जन डॉ डीके मिश्रा, नेत्र-चिकित्सक डॉ जीएम मिश्रा तथा डॉ गीतेन्द्र ठाकुर, झंझारपुर अनुमंडल के पूर्व चिकित्सक डॉ सुशील पूर्वे, मधुबनी मेडिकल कॉलेज से सेवा निवृत डॉ शंभू नाथ महथा, गृह विज्ञान के पूर्व प्राध्यापक डॉ भवेश्वर मिश्रा, बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के हिन्दी- प्राध्यापक डॉ विनय शंकर, एमएलएसएम कॉलेज, दरभंगा की प्राध्यापिका डॉ अंजू कुमारी, संस्कृत कॉलेज,भागलपुर के साहित्य-प्राध्यापक डॉ भारत कुमार मंडल, बेला पब्लिक स्कूल के शिक्षक दिनेश कुमार भगत, स्कूल शिक्षक- भरोसी पंडित एवं मंटून कुमार यादव, गुड़िया कुमारी, अरुण कुमार, उत्पल गोस्वामी, अनिल चौधरी, विजय कुमार पासवान आदि सहित 30 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में प्रो प्रभाष चन्द्र मिश्र ने कहा कि काव्य समाज का दर्पण एवं पथ- प्रदर्शक होता है जो समाज का प्रेरणा स्रोत तथा लोक भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इससे समाज की रीति- नीति, धर्म- कर्म, रहन- सहन, संस्कृति- परंपरा तथा व्यवहार- संस्कार आदि का परिचय प्राप्त होता है। इससे भारतीय संस्कृति, धर्म एवं परंपराओं को समझने में मदद मिलती है। मुख्य वक्ता डॉ शंभू नाथ महथा ने सीताराम नायक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे शून्य से शुरू कर अपने परिवार एवं समाज को बहुत आगे तक ले जाने वाले विरले व्यक्तित्व थे। उनके सुपुत्र डॉ जगत नारायण नायक अपने पिता के सपनों को जीवन्त कर रहे हैं। डॉ डीके झा ने कहा कि आज हमारे समाज में संस्कार और संस्कृति की कमी होती जा रही है, जिसे काव्य- लेखन एवं अध्ययन से नई पीढ़ियों में वापस लाया जा सकता है। कार्यक्रम संयोजक डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि काव्य लेखन करना साधारण कार्य नहीं है। यह कवि के हृदय का उद्गार है जो विचारों के आदान- प्रदान एवं अनुभवों को समझने में मदद करता है। काव्य- लेखन सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है।

विशिष्ट वक्ता डॉ अंजू कुमारी ने कहा कि काव्य हमें अपने विचारों एवं भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में मदद करता है। इसे पढ़ने से हमारे व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन आता है। काव्य उर्वर मानव मस्तिष्क की देन है जो हमारा आदर्श, मार्गदर्शक एवं सर्वकालिक शिक्षक होता है। काव्य का हमारे जीवन में काफी महत्व होता है। डॉ विनय शंकर ने कहा कि यह पुस्तक विमोचन समारोह साहित्यिक जगत में एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जिससे काव्य लेखन की गति तीव्र होगी। भरोसी पंडित ने कहा कि काव्य हमारे जीवन का सबसे अच्छा साथी होता है। यह पुस्तक भक्त को भगवान से जोड़ने में मदद करेगा। डॉ भवेश्वर मिश्रा ने कहा कि काव्य मानवीय विचारों, भावनाओं एवं अनुभवों को सुंदर एवं अर्थपूर्ण तरीके से व्यक्त करता है। डॉ भारत कुमार मंडल ने कहा कि काव्य हमें अपने जीवन के अर्थ एवं उद्देश्य को समझने में मदद करता है। समाज की अवस्था का कवि के हृदय पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसे वह अपनी काव्य प्रतिभा से समाज के सामने अभिव्यक्त करता है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि डॉ जगत नारायण नायक ने बताया कि इस रंगीन एवं सचित्र काव्य-पुस्तिका में 23 कविताएं हैं जो मां दुर्गा, राधा-कृष्ण, सीता-राम, महादेव, गणेश, भक्त हनुमान के साथ भी होली तथा हिन्दू धर्म से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि काव्य लेखन की प्रेरणा मुझे अपनी माता जानकी से मिली है। आगे मैं श्रृंगार रस, वीर रस आदि पर भी काव्य लिखूंगा। मेरी सभी कविताओं में कोई न कोई व्यंग छुपा होता है, जिसे समझने की जरूरत है। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से और समापन राष्ट्रगान से हुआ। अतिथियों का स्वागत डॉ गीतेन्द्र ठाकुर ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील पूर्वे ने किया।

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