Firozabad News: शिकोहाबाद सीओ ने पत्रकार को गोली से उड़ाने की लाइव धमकी में लगाई चुपके से फाइनल रिपोर्ट, सीओ के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की
रिपोर्ट एम एस वर्मा, मनोज कुमार
शिकोहाबाद: "शाबाश" सीओ शिकोहाबाद प्रवीन कुमार तिवारी , पत्रकार को गोली से उड़ाने की लाइव धमकी में लगाई चुपके से फाइनल रिपोर्टपीड़ित पत्रकार ने मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह, अनुसूचित जाति आयोग, एडीजी आगरा , एसएसपी फिरोजाबाद को पत्र भेजकर सीओ के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की
फिरोजाबाद। इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुघर सिंह पत्रकार को शिकोहाबाद की युवती द्वारा सोशल मीडिया पर लाइव आकर घर से उठाने और गोली से उड़ाने की दी गयी धमकी के मुकदमे में सीओ शिकोहाबाद प्रवीन कुमार तिवारी ने एफआर लगा दी। लेकिन सीओ वादी को गुमराह करते रहे और एफआर लगाने की जानकारी नही दी। अब पीड़ित पत्रकार ने मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, डीजीपी, अनुसूचित जाति आयोग, एडीजी आगरा, एसएसपी फिरोजाबाद को पत्र भेजकर सीओ के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
पीड़ित सुघर सिंह पत्रकार सैफई ने बताया कि मेरे द्वारा थाना शिकोहाबाद जिला फिरोजाबाद में मुअस 0055/2025 धारा 66 आईटीएक्ट, 3(1) (द), 3(1) (ध) 352, 351 (4) एससीएसटीएक्ट दिनाँक 25/01/2025 को दर्ज कराया था। दिनाँक 12/01/2025 को शिकोहाबाद की एक युवती ने इंस्टाग्राम पर लाइव आकर घर से उठवाने व गोली से उड़वाने की धमकी दी थी। में दिनाँक 14/01/2025 को थाना शिकोहाबाद में उक्त घटना की शिकायत करने गया और प्रार्थना पत्र दिया। जब में प्रार्थना पत्र देकर थाने से बाहर आया तो उक्त युवती ने व्हाट्सएप पर गंदी गंदी जातिसूचक गाली दी। युवती की दोस्त ने व्हाट्सएप पर एसएमएस करके व ऑडियो कॉल करके गंदी गंदी जातिसूचक गालियां व धमकी दी। जिसके सभी साक्ष्य मौजूद है।
शिकोहाबाद की उक्त युवती के विरुद्ब मुकदमा दर्ज होने के बाद युवती ने मनगढ़त कहानी बनाते हुए इंस्टाग्राम पर एक वीडियो अपलोड किया जिसमें वो घटना का कारित किया जाना कबूल रही है। घटना होने के दो प्रमाणित लाइव वीडियो और व्हाट्सएप चैट को सीओ ने मान्य नही किया।
पीड़ित पत्रकार ने बताया कि सीओ शिकोहाबाद प्रवीण कुमार तिवारी ने अभियुक्त युवती को नाबालिग बताया और मुझसे समझौते के लिए दबाब डाला जब मैंने मना कर दिया तो रेप के झूठे मुकदमे में जेल भेजने की धमकी दी। और मुझे ब्लेकमेल करने के लिए अभियुक्त युवती व उसकी सहयोगी से मिलकर साजिश करके फर्जी व्हाट्सएप चैट तैयार करके मुझे ब्लैकमैल किया ताकि में डरकर मुकदमे में समझौता कर लूं। चैट में मेरे द्वारा उक्त युवती को गाली व धमकी दी जा रही है। उक्त चैट पूरी तरह से फर्जी व एडिट है। सीओ ने उक्त चैट दिखाकर भी मुझे ब्लेकमेल किया व समझौता करने का दबाब डाला। जब कि दोनों युवतियों से हुई बातचीत की सभी चैट मेरे मोबाइल में अभी भी मौजूद है। उक्त दोनों युवतियां बहुत ही शातिर है। उक्त युवतियां पूर्व में भी कई युवकों को पोस्को एक्ट व छेड़खानी लगवाकर जेल भिजवा जा चुकी है। महेवा की युवती के मामले में न्यायालय ने पोस्को एक्ट के मुख्य आरोपी को बरी कर दिया है। इसी से युवतियों के कारनामे का अंदाजा लगाया जा सकता है।
7 फरवरी को जब में ब्यान देने गया तो मुकदमे के विवेचक सीओ प्रवीण कुमार तिवारी द्वारा मुझे धमकाया गया कि उक्त मुकद्दमे में समझौता कर लो वरना अभियुक्त युवती से रेप का झूठा मुकदमा लगवाकर तुमको जेल भेज दूंगा। कोई नही बचा पायेगा। इसके बाद मैंने दिनाँक 11/02/2025 व 13/02/2025 व 14/02/2025 को प्रेस परिषद, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भारत, मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी विशेष जांच, एडीजी आगरा, आईजी आगरा जोन, एसएसपी फिरोजाबाद, पत्र भेजकर मुकदमे की विवेचना सीओ शिकोहाबाद से हटाए जाने व सीओ के विरुद्ध जांच कराए जाने का अनुरोध किया लेकिन मेरे मुकदमे की विवेचना नही बदली गयी। न ही कोई जांच हुई।
उक्त घटना के सभी साक्ष्य सीडी व पेनड्राइव में वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग, व्हाट्सएप एसएमएस के स्क्रीनशॉट के प्रिंटआउट सीओ को दिए गए लेकिन सीओ ने सभी साक्ष्य को दरकिनार करके एफआर लगा दी।
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पीड़ित सुघर सिंह पत्रकार ने कहा कि पहले तो मुकदमा दर्ज करने में सीओ ने काफी हीलाहवाली की और आरोपी युवती को ही नाबालिक बता कर समझौते का दबाब डालते रहे। जब कि युवती किसान संगठन की पदाधिकारी है। बाद में एसएसपी के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज किया गया जिसमें सीओ ने शुरू से ही मुकदमे में रुचि नहीं ली और लगातार मुझे रेप के झूठे मुकदमें में जेल भेजने की धमकी देते रहे। जिसकी शिकायत भी मेरे द्वारा उच्चाधिकारियों को व टवीटर पर की गई व समाचार पत्रों में सीओ के विरुद्ध खबर भी प्रकाशित की गई। मेरे द्वारा मुकदमे की विवेचना ट्रांसफर के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के सभी उच्च अधिकारियों व आगरा जोन के पुलिस अधिकारी व एसएसपी को पत्र लिखा गया उसके बाद भी जानबूझकर सीओ शिकोहाबाद से विवेचना कराई गई जो न्याय संगत व विधि विरुद्ध है। इस मामले में उच्च न्यायालय में जाकर पुलिस के सभी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत करूंगा विवेचना बदलने के लिए 50 से अधिक पत्र पुलिस अधिकारियों को ईमेल व पंजीकृत डाक से भेजे गए लेकिन विवेचक नही बदला गया। एससी एसटी के किसी मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगती है तो वादी को सूचना दी जाती है लेकिन उक्त मुकदमे ने एफआर लगने की मुझे किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दी गयी। आईजीआरएस की जांच आख्या के द्वारा 15 दिन बाद एफआर की जानकारी हुई जब कि सीओ मुझसे कहते रहे कि मुकदमे में विवेचना चल रही है सीओ प्रवीण कुमार तिवारी के तीनो मोबाइल को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाए ताकि सीओ और अपराधियों की मिलीभगत का राज खुल सके। उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा 50 से अधिक प्रार्थना पत्र उच्च अधिकारियों को भेजे गए लेकिन आज तक एक भी प्रार्थना पत्र की जांच नहीं हुई ना ही किसी प्रार्थना पत्र में बयान देने के लिए मुझे बुलाया गया।