रिपोर्ट भरतसिंह आर ठाकोर अरवल्ली गुजरात
*अरवल्ली जिले के मेघरज के जय सरस्वती सखी मंडल की प्रेरक सफलता की कहानी*
*विभिन्न प्रकार के अचार बनाकर इस सोसायटी ने सालाना लाखों रुपये कमाए और 'लखपति दीदी' की गौरवशाली उपाधि हासिल की।*
गुजरात के अरावली जिले के मेघरज तालुक के एक छोटे से गांव शिवराजपुरा कंपा में एक ऐसा सखी मंडल है जिसने महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा उदाहरण पेश किया है। जय सरस्वती सखी मंडल की अर्पिता बेन पटेल कहती हैं कि इस सखी मंडल में दस बहनें हैं, हमने अपनी मेहनत और एकता से अपनी जिंदगी बदल दी है. हमारे मंडल ने कई प्रकार के अचार बनाकर सालाना लाखों रुपये कमाए हैं और 'लखपति दीदी' की गौरवशाली उपाधि प्राप्त की है।इस सफलता की शुरुआत गुजरात सरकार की ग्राम विकास एजेंसी के सहयोग से हुई। अरावली जिला मुख्यतः आदिवासी आबादी वाला क्षेत्र है, जहाँ महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता के सीमित अवसर प्राप्त थे। ग्राम विकास एजेंसी ने सखी मंडल बनाकर महिलाओं को संगठित किया और उन्हें प्रशिक्षण, ऋण और बाजारों तक पहुंच प्रदान की। जय सरस्वती सखी मंडल की बहनों ने इस अवसर का लाभ उठाया और पारंपरिक अचार बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने आम, नींबू, मिर्च, इमली सहित विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट और गुणवत्तापूर्ण अचार तैयार करके अपनी उपज को स्थानीय बाजार से लेकर दूर-दराज के इलाकों में वितरित किया।इस मण्डली की बहनों की मेहनत का नतीजा यह हुआ कि वार्षिक आय लाखों रुपये तक पहुँच गयी। उन्हें यह उपाधि केंद्र सरकार की 'लखपति दीदी' योजना के तहत मिली, जो महिलाओं को सालाना एक लाख से अधिक कमाने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह सफलता आर्थिक और सामाजिक है. ये बहनें अब अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं, बच्चों को अच्छी शिक्षा देती हैं और गाँव में आत्मविश्वास का प्रतीक बन जाती हैं।अरावली जिले में जय सरस्वती सखी मंडल जैसे कई सखी मंडल आज ग्राम विकास एजेंसी के सहयोग से सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। ये समितियाँ महिलाओं को रोजगार प्रदान करती हैं और उन्हें नेतृत्व, प्रबंधन और उद्यमिता में प्रशिक्षित भी करती हैं। परिणामस्वरूप, जिले की कई महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो गई हैं। अवसर मिलने पर महिलाएं कैसे अपनी किस्मत और समाज बदल सकती हैं और सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ प्राप्त कर सकती हैं।


