आनन्द बॉबी चावला ब्यूरो चीफ झांसी।
23 दिसंबर 2025
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ देश की आय में कृषि क्षेत्र का 14 से 20 प्रतिशत तक योगदान-कुलपति
*कुलपति ने 12 प्रगतिशील किसानों को किया सम्मानित*
*राष्ट्रीय किसान दिवस पर रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी में किसान सम्मान समारोह आयोजित*
*झाँसी।* रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसम्बर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में गरिमामय वातावरण में मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित किसान सम्मान समारोह में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 12 प्रगतिशील किसानों को अंगवस्त्र एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।अध्यक्षीय संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि किसान दिवस आज पूरे देश में मनाया जा रहा है और कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने बताया कि देश की आय में कृषि क्षेत्र का 14 से 20 प्रतिशत तक योगदान है तथा ग्रामीण रोजगार का सबसे बड़ा आधार कृषि ही है। उन्होंने कहा कि कृषि को कभी पीछे नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि जब तक मानव जीवन है, तब तक कृषि की आवश्यकता बनी रहेगी।
कुलपति ने भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई *“विकसित भारत – रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G)”* का उल्लेख करते हुए कहा कि यह योजना मनरेगा की तर्ज पर रोजगार की गारंटी प्रदान करती है, लेकिन इसमें कई महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव किए गए हैं। इस मिशन के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाएगी, जबकि मनरेगा में यह सीमा 100 दिन की है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि किसान अपने ही ग्राम में रहकर रोजगार, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के माध्यम से आत्मनिर्भर बनें।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा गाँवों में सरसों तेल, मूंगफली एवं अन्य कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण हेतु मशीनें स्थापित की जा रही हैं। विश्वविद्यालय द्वारा इंटरमीडिएट उत्तीर्ण विद्यार्थियों को विभिन्न रोजगारपरक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं, इससे ग्रामीण युवाओं को आय के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं। कुलपति ने कहा कि आज सम्मानित किए गए किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बकरी पालन, सब्जी उत्पादन, फूल उत्पादन, मत्स्य पालन एवं कृषि वानिकी से बेहतर लाभ अर्जित कर रहे हैं।
*निदेशक शोध डॉ. एसके चतुर्वेदी ने* अपने संबोधन में *“विकसित भारत – रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)”* की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि यह मिशन केवल मजदूरी तक सीमित नहीं है, बल्कि कृषि आधारित उद्यमिता, स्वरोजगार एवं मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा दलहन, तिलहन, श्रीअन्न, सब्जी एवं मसाला फसलों के उन्नत बीज तैयार किए जा रहे हैं, जिससे किसान उत्पादन एवं आय दोनों बढ़ा सकें।
*अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने* कहा कि किसान द्वारा उत्पादित अन्न से ही देश की प्रगति संभव है। उन्होंने किसानों से आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने तथा विश्वविद्यालय द्वारा विकसित एकीकृत कृषि मॉडल को अपने गाँवों में लागू करने का आह्वान किया।
*निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह ने* कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी का यह कथन आज भी प्रासंगिक है कि “देश की समृद्धि खेत-खलिहानों से निकलती है।” उन्होंने किसानों से उत्पादन के साथ-साथ विविधीकरण और उद्यमिता अपनाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर टमाटर, गेहूँ, चना, सरसों, श्रीअन्न, सब्जी उत्पादन, बकरी पालन, मत्स्य पालन, फूल उत्पादन एवं कृषि वानिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित किया गया। किसानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई तकनीकों को अपनाकर उन्हें डेढ़ से चार गुना तक अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।कार्यक्रम के दौरान किसानों द्वारा अपने खेतों में उत्पादित टमाटर एवं ब्रोकली कुलपति महोदय को भेंट स्वरूप प्रदान की गई।
कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. एमएल जाट सहित वरिष्ठ अधिकारी जुड़े रहे।
अंत में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को रबी फसलों में रोग-कीट प्रबंधन एवं उत्पादन बढ़ाने की वैज्ञानिक जानकारी दी। इस अवसर पर झाँसी, दतिया, करैरा, निवाड़ी, मऊरानीपुर सहित विभिन्न ग्रामों के किसान, विश्वविद्यालय के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
आनन्द बॉबी चावला झांसी।

