चन्दगीराम मिश्रा
हरदोई यूपी
श्रद्धा और विश्वास के बिना परमात्मा का मिलना असंभव: पंछी देवी
मल्लावां (हरदोई) शांति सत्संग मंच श्यामपुर में चल रहे 52 वे वर्ष के तृतीय दिन आध्यात्मिक प्रवचन व संत सम्मेलन में विश्व विख्यात वेदांत विदुषी प्रज्ञा भारती गिरी पंछी देवी ने बताया कि बिना श्रद्धा और विश्वास के परमात्मा को प्राप्त नहीं किया जा सकता है परमात्मा को प्राप्त करने के लिए श्रद्धा और विश्वास दोनों ही जरूरी हैं । जिन्होंने श्रद्धा और विश्वास रखा उसको परमात्मा प्राप्त हुआ मानव के पास सौंदर्य का बल धन का बल भुज का बल लेकिन सबसे बड़ा रामधन है जिसके पास रामधन है वह सबसे बड़ा बल है ज्ञान और वैराग्य के लिए प्रेम और भक्ति होना बहुत जरूरी है।
पंछी देवी जी ने श्रोताओं को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मानव जीवन का लक्ष्य आत्म साक्षात्कार एवं ईश्वर के साथ संबंध स्थापित करना है उन्होंने कहा कि किसी समाज राष्ट्र और देश को सुखी बनाने के लिए राम जैसे चरित्र की बहुत बड़ी आवश्यकता है राम ने लंका को जीतने के पहले अपने चरित्र को जीता है आज समाज में चरित्र का हनन हो रहा है भाई के प्रति त्याग को भूलकर जानवरों की तरह केवल अपने ही स्वार्थ में जकड़ कर रह गया है।इन परिस्थितियों को फिर से बदलकर राम राज्य की स्थापना के लिए मानव जीवन में सत्संग की बड़ी ही आवश्यकता है राम एक व्यक्ति नहीं वह एक व्यक्तित्व है राम कथा के प्रसंग को सुनकर अपने जीवन में उतर कर मनुष्य भगवान से साक्षात्कार करते हुए अपने जीवन को धन्य बन सकता है ।परीक्षा पीठाधीश्वर महावीर दास जी महाराज ने कहा कि जिन भक्तों का जीवन भगवान के लिए समर्पित हो गया है वह सदा जीवन में सभी प्रकार के सुख संतोष एवं आनंद उठाते रहेंगे और निरंतर ज्ञान के प्रकाश से ओत प्रोत होकर अपने जीवन को जगमगाते रहेंगे और मनुष्य को भी प्रकाशित करते रहेंगे उन्होंने कहा कि जिन भक्तों का जीवन भगवान के लिए समर्पित हो गया है वह सदा जीवन में सभी प्रकार के सुख संतोष एवं आनंद उठाते रहेंगे और निरंतर ज्ञान के प्रकाश से जगमगाते रहेंगे और मनुष्यों को भी प्रकाशित करते रहेंगे। पंडित अशोक शास्त्री ने अपने दिव्य सत्संग प्रवचन में कहा कि यह मानव जीवन एक आध्यात्मिक वहां है जिसके द्वारा हम शाश्वत जीवन तक पहुंच सकते हैं यह अज्ञान रूपी भवसागर को पार करने के लिए दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण नाव है इस महासागर को पार करने के लिए कुशल नाविक के रूप में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका है।पंडित राघव किशोर मानस विद्वान ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए बताया कि रामचरितमानस समय या शिक्षा देती है कि मानव को क्या-क्या करना चाहिए राम का संपूर्ण दयालुता कृपालुता आदि सभी गुण विद्वान है इसलिए हमें राम के चरित्र तथा राम के नाम की महिमा का गुणगान करना चाहिए अपने व्यक्तित्व जीवन के स्वर्णिम विकास के लिए राम कथा का आनंद अवश्य लें जिससे आपका कल्याण के साथ-साथ समाज देश राष्ट्र का कल्याण होगा जिसकी बड़ी आवश्यकता है
इटावा से पधारी मानस कोकिला श्रीमती रचना जी ने बताया कि महात्मा जीवात्मा को परमात्मा से मिलना है हनुमान जी एक ऐसा कार्य करते हैं भक्तों को भगवान राम के दर्शन कराते हैं क्योंकि तुलसीदास जी ने लिखा है कि राम से अधिक राम के दास महात्मा या संत की परिभाषा भेष नहीं है संत का अर्थ है संत तत्व जिनका उद्देश्य होता है कि हमारी संस्कृति अच्छी होनी चाहिए फेस नहीं रामचरितमानस में दो प्रकार के संत हैं हनुमान जी और भरत, हनुमान जी की ऊंचाई चरित्र की गहराई सागर से भी गहरी है हनुमान जी का प्रेम जगदीश से है महात्मा ही जीवात्मा से परमात्मा का मिलन कराता है। इसी क्रम में जालौन से पधारी साध्वी मिथिलेश्वरी देवी ने मानव में भक्ति के महत्व को बताते हुए प्रेरणा प्रदान की। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय विधायक आशीष सिंह आशू ने संत महात्मा का पूजन अर्चन करते हुए कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों में ऐसे दिव्य विद्वानों के प्रवचनों को सुनकर मनुष्य जीवन में धार्मिकता का वातावरण होता है उन्होंने आयोजक गुप्ता परिवार की सराहना करते हुए श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर आयोजक प्रकाश चंद्र, उमेश चंद्र ,दिनेश चंद्र, संतोष चंद्रगुप्त शाहिद सैकड़ो की संख्या में गण मान्य लोग मौजूद रहे।मंच का संचालन डॉ अशोक चंद्रगुप्त ने किया।