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कांकेर: प्रेम विवाह पर अड़ा समाज, 45 गांवों के लोग पहुंचे दूल्हे के घर; दामाद के प्रतिभोज के बाद ही खत्म होगा बहिष्कार

 प्रेम विवाह पर अड़ा समाज, 45 गांवों के लोग पहुंचे दूल्हे के घर; दामाद के प्रतिभोज के बाद ही खत्म होगा बहिष्कार।


पत्रकार स्वतंत्र नामदेव 

कांकेर जिला ब्यूरो एवं उत्तम बनीक बांदे


सामाजिक परम्पराओं को लेकर छत्तीसगढ़ के विष्णुपुर गांव में उस समय गहमागहमी का माहौल बन गया, जब महाराष्ट्र के भूमकान गांव से आदिवासी समाज के करीब 45 गांवों के 300 लोग एक बंगाली युवक प्रभास बिस्वास पिता परितोष बिस्वास के घर पहुँच गए। यह पूरा मामला एक महीने पहले हुए प्रेम विवाह से जुड़ा है, जिसमें बंगाली समाज के लड़के ने आदिवासी समाज की लड़की अलिसा पोटाई को भागकर शादी कर ली थी।

सामाजिक नियमों के अनुसार, इस विवाह के बाद लड़की के परिवार को समाज से अलग (बहिष्कृत) कर दिया गया है। आदिवासी समाज की परम्परा है कि जब तक दोनों पक्षों में सामाजिक बैठक नहीं होती और दामाद की तरफ से समाज को 'प्रतिभोज' (पार्टी) नहीं दी जाती, तब तक परिवार का समाज से बहिष्कार जारी रहता है। यह प्रतिभोज एक तरह का 'दंड' होता है, जिसके बाद ही लड़की के परिवार को समाज में वापस मिलाया जाता है।

अपनी इसी पुरातन परम्परा की मांग को लेकर, आदिवासी समाज के ग्रामीण एकजुट होकर विष्णुपुर गांव पहुंचे। ग्रामीणों को आता देख बेटी और दामाद घर से गायब हो गए। इस पर ग्रामीण भी अपनी मांग पर अड़ गए और उन्होंने विष्णुपुर गांव में ही डेरा डाल दिया।

विष्णुपुर गांव के सरपंच ने ग्रामीणों के रुकने और ठहरने के लिए स्थानीय स्कूल का प्रबंध किया है। ग्रामीण अपने साथ खाने-पीने का सामान भी लेकर आए हैं और साफ कह रहे हैं कि जब तक उनके पूर्वजों से चली आ रही परम्पराओं की मांग पूरी नहीं होती, तब तक वे वापस अपने गांव नहीं लौटेंगे।

ग्रामीणों  कोतूराम पोटावी, नितिन पदादा और आडवेजी कन्दो ने कहा कि सामाजिक नियम सभी के लिए समान हैं और इसका पालन करना अनिवार्य है। जब तक दामाद की तरफ से समाज को खिलाया-पिलाया नहीं जाता, तब तक बहिष्कार जारी रहेगा और वे अपनी मांग पूरी होने तक यहां से नहीं हटेंगे। यह घटना सामाजिक परम्पराओं के प्रति ग्रामीण समाज के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।



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