क्राइम ब्यूरो _ मोहम्मद अहमद
जिला बाराबंकी
*गुरू घंटालों पर बेसिक शिक्षा विभाग मेहरबान नहीं लगा पा रहा लगाम**सहायक कर रहे ग्राम प्रधानी, बतौर प्रतिनिधि स्कूल छोड़ कर रहे मीटिंग*
*पूर्व में भी इसी शिक्षा खण्ड के प्रधानाध्याप बने थे तत्कालीन भाजपा सांसद के प्रतिनिधि*
*घेरे में सहायक अध्यापक बनाम रानीमऊ प्रधान प्रतिनिधि तेज नारायण जायसवाल प्रधान संघ की बैठक में*
पूरेडलई, बाराबंकी। देश का बेसिक शिक्षा विभाग नौनिहालों के प्रति कितना जिम्मेदारी निर्वहन कर रहा है यह इसी से समझा जा सकता है कि विभाग में तमाम गुरु घंटाल ऐसे हैं जो बच्चों को पढ़ाना छोड़ तमाम अन्य तमाम आर्थिक हित से जुड़े कार्यों में संलग्न है। जिसे तमाम लोग कभी भी देखसुन सकते हैं लेकिन विभाग पता नहीं क्यों देश के नौनिहालों का हित दरकिनार कर ऐसे गुरु घंटाओं को नजरअंदाज कर आंखें बंद किए हुए है। सामने आए मामले में खण्ड शिक्षा क्षेत्र पूरेडलई में ग्राम पंचायत रानीमऊ के प्रधान के तथाकथित प्रतिनिधि बतौर अपरोक्ष रूप दायित्व का पूर्ण निर्वहन करते नजर आ रहे हैं। वैसे बता दें कि बीते दो पंच वर्षीय इसी गांव की प्रधानी इन्हीं गुरूघंटाल के पास रही। जिसमें 2010 से 2015 में इनकी माता की प्रधानी में पूरा कामकाज इन्हीं के जिम्मे अपरोक्ष रूप से रहा, वही 2015 से 2020 में महाशय की भाभी यहां की प्रधान रहीं, तब भी पूरा कार्य भार ग्रामीणों के बताए अनुसार गुरूजी की देखरेख में रहा। वर्तमान समय में सीट सामान्य होने पर प्रधानी तो बदल गई लेकिन तथाकथित ग्राम प्रधान प्रतिनिधि नहीं बदला। जो वैसे तो तमाम खण्ड विकास की बैठकों में विद्यालय के समय में भी नजर आते हैं। तो अभी हाल में पंचायत सहायक व प्रधान की झड़प को लेकर प्रधानों की बीडीओ, एडीओ पंचायत, ब्लॉक प्रमुख आदि की मौजूदगी में पूर्वाह्न 11 बजे से 01 बजे तक आयोजित बैठक में बकायदा नजर आए, जिसकी फोटो भी मौजूद है। जबकि ये समय विद्यालय में उपस्थिति का समय था। मामले को लेकर बीएसए संतोष देव पाण्डेय से पूछने पर उन्होंने बताया कि तथ्य उनकी जानकारी में नहीं है। अब वे जांच करवाएंगे। अगर शिकायत सच मिली तो कार्रवाई करेंगे कि नहीं यह स्पष्ट नहीं किया।
( इनसेट )
*पूर्व सांसद प्रियंका रावत का प्रतिनिधि भी था गुरूघंटाल*
बाराबंकी। इसी पूरेडलई शिक्षा खण्ड के प्राथमिक विद्यालय नन्दापुरवा के प्रधानाध्यापक के सांसद प्रतिनिधि होने पर बड़ा हंगामा बात सामने आने पर मचा था। जिसकी खबर प्रकाशित होने पर तत्कालीन बीएसए पर भाजपा सांसद ने काफी दबाव भी बनाया था कि कार्रवाई ना हो। लेकिन मामले में यह तथ्य सामने आया कि ग्राम पंचायत उदईमऊ के प्राथमिक विद्यालय नन्दापुरवा का एक भी छात्र ऐसा नहीं मिला जो तत्कालीन अध्यापक राजेश कुमार को पहचानता भी हो। मतलब सांसद प्रतिनिधि के कार्य की चाशनी में महाशय कभी विद्यालय गए ही नहीं कभी शिक्षण कार्य किया ही नहीं। जिसपर बवाल बढ़ने पर अपनी भद्द होते देख जहां सांसद ने विवाद से पलड़ा झाड़ लिया। वहीं विभाग ने भी कड़ी कार्रवाई की। लेकिन लाखों रुपया जो बिना शिक्षण कार्य किए महाशय ने उठाए उसका क्या? वो तो लोगों के खून पसीने की कमाई के टैक्स के पैसे की पूरी हड़प कर गए, उसकी वसूली हुई कि नही यह पता नहीं चला। यह बताना जरूरी है कि तमाम बड़े अधिकारियों दिग्गजों की पत्नियां व कई रसूखदार बनाम समाजसेवी स्वयं शिक्षक होने के बावजूद विद्यालय से नाता है तो सिर्फ इतना कि वेतन आहरण के लिए उपस्थिति पंजिका पर दस्तखत करने जाना ही पड़ता है। बाकी कोई कहीं से अलग से आर्थिक लाभ नियम विरूद्ध कर रहा है। तो कोई बकायदा दूसरा कार्य ही कर रहा है जिसमें डिजीटल हाजरी लगती है। लेकिन सबकुछ जानते समझते विभागीय वरिष्ठ से लेकर डीएम तक क्यों कार्रवाई करने से हिचकते हैं यह बाबा योगी के रामराज्य में जनता जनार्दन समझ नहीं पा रही। वैसे यही वजह है कि अरबों रुपये खर्च के बावजुद प्राथमिक विद्यालयों से बच्चों की उपस्थिति घटती जा रही है।