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नई दिल्ली: पाकिस्तानी महिला बनीं सरकारी टीचर, फर्जी दस्तावेजों से हासिल की नौकरी, 2015 से कार्यरत थी मैडम।

 संवाददाता: एम.एस वर्मा, सोशल मीडिया प्रभारी उत्तरप्रदेश, 6397329270


पाकिस्तानी महिला बनीं सरकारी टीचर, फर्जी दस्तावेजों से हासिल की नौकरी, 2015 से कार्यरत थी मैडम!

पाकिस्तानी महिला बनीं सरकारी टीचर, फर्जी दस्तावेजों से हासिल की नौकरी, 2015 से कार्यरत थी.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बरेली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पाकिस्तानी महिला ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से सरकारी नौकरी हासिल कर ली और स्कूल में टीचर बन गई. पुलिस ने बताया कि उसने एक पाकिस्तानी महिला पर यहां एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में असिस्टेंट टीचर के रूप में नौकरी हासिल करने के लिए कथित रूप से जाली दस्तावेज बनाने का मामला दर्ज किया है.

उन्होंने बताया कि महिला 2015 से माधोपुर के सरकारी प्राइमरी स्कूल में टीचर के पद पर कार्यरत थी. पिछले साल उप-विभागीय मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी की शिकायत के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

फर्जी निवास प्रमाण-पत्र पेश किया

मिश्रा ने कहा, "शुमैला खान पर माधोपुर के सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक का पद पाने के लिए जाली प्रमाण-पत्रों का इस्तेमाल करने का आरोप है. खान ने अपनी नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान रामपुर के सदर के एसडीएम द्वारा जारी एक निवास प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था. हालांकि, एसडीएम द्वारा की गई जांच में पता चला कि प्रमाण-पत्र जाली था और शुमैला खान के पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि हुई."


उन्होंने कहा, "जांच में पाया गया कि उसने अपनी पहचान छिपाई और नौकरी हासिल करने के लिए झूठे दस्तावेज प्रस्तुत किए." वही, ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर भानु शंकर ने बताया कि खान को 2015 में माधोपुर प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर उन दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किया गया था जो बाद में जाली निकले.

जांच में जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल की पुष्टि

एफआईआर के अनुसार वेरिफिकेश प्रक्रिया के दौरान इन दस्तावेजों की प्रामाणिकता को लेकर चिंता जताई गई थी. एसडीएम की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि गलत जानकारी के आधार पर निवास प्रमाण पत्र गलत तरीके से जारी किया गया था. नतीजतन, प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया. शिक्षा विभाग ने खान से कई मौकों पर स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन हर जांच में जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल की पुष्टि हुई.

एफआईआर के अनुसार 3 अक्टूबर 2024 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने खान को निलंबित कर दिया और बाद में उनकी नियुक्ति की तारीख से उनकी नौकरी समाप्त कर दी. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश और जांच के बाद फतेहगंज पश्चिमी पुलिस स्टेशन में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा मामला दर्ज किया गया.

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एफआईआर में धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित धाराओं सहित तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं को जोड़ा गया है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अब आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कदम उठाए जाएंगे.


कर्नाटक से पकड़े गए थे चार पाकिस्तानी नागरिक

बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में कर्नाटक के बेंगलुरु से पुलिस ने चार पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए लोगों में दो महिलाएं भी शामिल थी. पुलिस के मुताबिक चारों पाकिस्तानी नागरिकों ने फर्जी पहचान बताकर भारतीय पासपोर्ट बनवा लिया था. इतना ही नहीं सभी आरोपियों ने अपनी पहचान बदल ली थी और अपने हिंदू नाम रख लिए थे. कथित तौर पर यह लोग 2014 में दिल्ली आए थे और बाद में 2018 में बेंगलुरु चले गए.

गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान पाकिस्तान के कराची निवासी राशिद अली सिद्दीकी उर्फ शंकर शर्मा, पाकिस्तान के लाहौर निवासी आयशा उर्फ आशा रानी, लाहौर निवासी हनीफ मोहम्मद उर्फ रामबाबू शर्मा और लाहौर निवासी रुबीना उर्फ रानी शर्मा के रूप में हुई थी.

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