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बाराबंकी: बार कौंसिल के आदेश के विरोध में अधिवक्ताओं ने सौंपा राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन

 क्राइम ब्यूरो_मोहम्मद अहमद 

जिला बाराबंकी 

*बार कौंसिल के आदेश के विरोध में अधिवक्ताओं ने सौंपा राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन*


*अधिवक्ता पंजीकरण शुल्क में वृद्धि और अन्य शर्तों पर जताई आपत्ति, बार कौंसिल पर लगाए शोषण के आरोप*


बाराबंकी। बुधवार, श्री अवध बिहारी मिश्र सेवा ट्रस्ट के ट्रस्टी व आंदोलनकारी अधिवक्ता रितेश कुमार मिश्र की अगुवाई में वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बार कौंसिल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शिव कुमार गौड़ के 6 मई 2025 को जारी आदेश के विरोध में गहरा रोष जताते हुए महामहिम राष्ट्रपति व केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से जनहित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने बार कौंसिल द्वारा अधिवक्ता पंजीकरण के लिए निर्धारित शुल्क को लेकर जारी नवीन आदेश को न्यायालय के पूर्व आदेशों की अवहेलना बताया। अधिवक्ताओं ने बताया कि उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार सामान्य व ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों से ₹750 तथा अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग से ₹125 शुल्क निर्धारित है, जिसे बार कौंसिल उत्तर प्रदेश ने पहले लागू भी किया था।परंतु दिनांक 06/05/2025 को बार कौंसिल अध्यक्ष द्वारा जारी नए पत्र में कहा गया है कि जिन अधिवक्ताओं ने न्यून शुल्क देकर पंजीकरण कराया है, उन्हें COP कार्ड और प्रमाणपत्र जारी करने से पहले सामान्य व ओबीसी वर्ग से ₹14,500 और एससी, एसटी वर्ग से ₹13,500 अतिरिक्त शुल्क जमा करना होगा। इसके अलावा, जिन अभ्यर्थियों ने 2015 से पहले विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की है या 50 वर्ष से अधिक आयु पूर्ण कर चुके हैं, उनसे ₹20,000 और सेवानिवृत्त अथवा पुनः प्रैक्टिस में लौटने वाले अधिवक्ताओं से ₹35,000 शुल्क लेने का आदेश भी दिया गया है। रितेश कुमार मिश्र ने इसे 'तुगलकी फरमान' बताते हुए कहा कि यह आदेश अधिवक्ताओं के हितों के विपरीत और शोषणकारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बार कौंसिल अधिवक्ताओं को सहयोग देने की बजाय आर्थिक दबाव बना रही है। डुप्लीकेट प्रमाणपत्र शुल्क ₹100 के बजाय ₹500 वसूला जा रहा है, जो अन्यायपूर्ण है। उन्होंने मांग की कि बार कौंसिल के सदस्यों को अधिवक्ताओं के हित में निर्णय लेना चाहिए और ऐसे मनमाने आदेशों पर पुनर्विचार करना चाहिए। ज्ञापन सौंपने वालों में रितेश कुमार मिश्र के साथ रमन द्विवेदी, पवन मिश्रा, संजय गांधी, दिवाकर दत्त सिंह, पुरुषोत्तम मिश्र, शुभम शर्मा, श्रीकांत, फरहत फातिमा, सुमन देवी, नेमावती, राहुल मिश्र, पवन तिवारी, सुनीता यादव, सुमन कुमारी, अभिरूप मौर्या, विकास यादव, आकाश राय, शाकिब, हिमांशु व खुशी जायसवाल समेत दर्जनों अधिवक्ता उपस्थित रहे।

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