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कैथल: जिले में मछली पालन का क्षेत्र बढ़ाएं अधिकारी : डीसी प्रीति

 जिले में मछली पालन का क्षेत्र बढ़ाएं अधिकारी : डीसी प्रीति


मत्स्य पालकों को समय पर उपलब्ध करवाएं सब्सिडी


सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लें मत्स्य पालक, मत्स्य पखवाड़े में सहयोग करें सभी ग्राम पंचायतें


जिला परिषद डिप्टी सीईओ एवं कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य समन्वयक को कारण बताओ नोटिस जारी

 

रिपोर्ट मोहित गुलाटी

 

कैथल, 1 मई। डीसी प्रीति ने कहा कि जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र को बढ़ाया जाए। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लाभ मत्स्य पालकों तक समयबद्ध पहुंचाया जाए। उन्हें  सब्सिडी   आदि का लाभ भी समय पर उपलब्ध करवाना  सुनिश्चित करें। उनके लिए मार्केट की उपलब्धता भी सुनिश्चित करें। इसके अलावा सभी ग्राम पंचायतें विभाग द्वारा चलाए जा रहे मत्स्य पखवाड़े में सहयोग करें और ग्रामीणों को मत्स्य पालन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें।          डीसी प्रीति वीरवार को लघु सचिवालय के सभागार में मत्स्य संबंधित योजनाओं के संदर्भ में अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दे रहीं थीं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित गई हैं। जिसके तहत 40 से 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है, ताकि मत्स्य पालकों की आमदनी को बढ़ा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा जाए। कलायत के क्षेत्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की काफी संभावनाएं हैं, क्योंकि यहां का क्षेत्र सेम ग्रस्त है। किसान यहां पर मत्स्य पालन करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि मत्स्य पालन कर रहे किसानों की परेशानियों को जानें और यदि उन्हें अपने किसी प्रोजेक्ट में कोई दिक्कत आती है तो उसे दूर करवाकर उसका काम जारी रखवाएं। ऐसा न हो कि लाखों रुपये खर्च कर किसान कुछ  समस्याओं के चलते मत्स्य पालन ही छोड़ दें। डीसी ने बैठक में उपस्थित न होने पर जिला परिषद की डिप्टी सीईओ एवं कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य समन्वयक को कारण बताओ  नोटिस जारी करने के निर्देश जारी किए हैं।          जिला मत्स्य अधिकारी दिलबाग ने बताया कि जिला में कुल 152 पंचायती तालाब तथा 141 निजी तालाबों में कल्चर फिसिरिंग की जा रही है। इस वित्त वर्ष के लिए करीब 726 लाख रुपये डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई, जिसके तहत विभिन्न मत्स्य पालन संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति कल्याण योजना के तहत पंचायती तालाबों को पट्टे पर लेने पर प्रथम पट्टा धनराशि पर 50 हजार रुपये या 50 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर की दर से जो भी कम हो अनुदान दिया जाएगा। वहीं मछलियों के खाद-खुराक पर कुल लागत एक लाख 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का 60 प्रतिशत या 90 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर जो भी कम हो अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही मछली पकड़ने के लिए 40 हजार रुपये तक का जाल खरीदने पर 60 प्रतिशत या धनराशि 24 हजार रुपये जो भी कम हो अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा मछली व मछली उत्पाद विक्रय के लिए रेहड़ी खरीदने पर 60 प्रतिशत या 36 हजार रुपये जो भी कम हो अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार जिले में स्थित अधिसूचित पानियों (नदी व नहरों) को मछली पकड़ने के लिए नीलामी द्वारा ठेका लेने पर पांच लाख रुपये या 50 प्रतिशत जो भी कम हो अनुदान दिया जाएगा।          उन्होंने बताया कि विभाग इन्टेसिव फिशरीज डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत मत्स्य पालन पर अनुदान के लिए आवेदन आमन्त्रित करता है। जिसके अन्तर्गत निजी व पंचायती तालाबों के सुधार के लिए अनुदान दिया जाता है। मत्स्य पालन के लिए सोलर सिस्टम पर भी अनुदान दिया जाता है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मत्स्य पालन पर 40 से 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है। इस अवसर पर जिला मत्स्य अधिकारी दिलबाग सिंह, डीडीए डा. बाबू लाल, मत्स्य अधिकारी सूर्य प्रकाश सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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