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लखनऊ: जोन के एडीजी तथा रेंज के आईजी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की गई

जोन  के एडीजी तथा रेंज के आईजी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की गई

ब्यूरो रिपोर्ट TTN 24 

उत्तर प्रदेश में माह नवंबर को यातायात माह के रूप में मनाये जाने के दृष्टिगत, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश श्री राजीव कृष्ण द्वारा प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने एवं यातायात जाम की समस्या के निवारण हेतु पुलिस मुख्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों, जोन के एडीजी तथा रेंज के आईजी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की गई।


पुलिस महानिदेशक द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात यातायात सुधार को अपनी शीर्ष दस प्राथमिकताओं में सम्मिलित करते हुए, एडीजी यातायात निदेशालय को सड़क दुर्घटनाओं के हॉटस्पॉट, उनके कारणों के विश्लेषण एवं निवारण उपायों पर आधारित एक व्यापक कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।


पुलिस महानिदेशक के निर्देशों के अनुपालन में यातायात निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रदेश के तीन सर्वाधिक सड़क दुर्घटना प्रभावित मार्गों का स्थल निरीक्षण किया गया। रोड इंजीनियरिंग, संसाधनों एवं बल की उपलब्धता, तकनीकी पहलुओं तथा अन्य प्रासंगिक कारकों का विश्लेषण कर दुर्घटनाएं घटाने हेतु एक ठोस रणनीति तैयार की गई।


*चिन्हित तीन मार्ग निम्नलिखित हैं–*

1. स्ट्रैच-1: NH-34 (सिकन्दराबाद–बुलन्दशहर से गभाना टोल प्लाजा, अलीगढ़)

2. स्ट्रैच-2: NH-27 (अवध चौराहा, लखनऊ से जाजमऊ पुल, उन्नाव)

3. स्ट्रैच-3: NH-34 (नौबस्ता से सजेती, कानपुर)


*इन मार्गों पर दो माह तक योजनाबद्ध रूप से विशेष कार्यवाही की गई, जिससे सार्थक एवं सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए—*

स्ट्रैच-1: अगस्त 2025 में दुर्घटनाएं 33.33% एवं सितम्बर में 81.48% घटीं।

स्ट्रैच-2: अगस्त में 64.29% एवं सितम्बर में 90.48% की कमी।

स्ट्रैच-3: अगस्त में 38.46% की कमी, सितम्बर में स्थिति स्थिर रही।


*राज्यव्यापी कार्ययोजना के प्रमुख बिंदु*


उक्त सफल प्रयोगों एवं यातायात निदेशालय द्वारा किए गए अध्ययन के आधार पर पुलिस महानिदेशक द्वारा राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु निम्न कार्ययोजना निर्गत की गई है—


1. यातायात प्रबंधन में सुधार को शीर्ष प्राथमिकता पर रखा गया है, जिसके लिए दो मुख्य आयाम तय किए गए हैं—

(क) शहरों को जाममुक्त बनाना

(ख) सड़क दुर्घटनाओं में जनहानि को न्यूनतम करना

2. पहले आयाम के तहत प्रदेश के बड़े महानगरों के साथ-साथ जनसंख्या घनत्व के आधार पर अन्य प्रमुख शहर चुने गए हैं।

3. दूसरे आयाम के अंतर्गत पाँच पुलिस आयुक्तालय सहित 15 जिलों को एक्सीडेंटल डेथ रिडक्शन डिस्ट्रिक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है।

4. ये 20 जिले भारत सरकार द्वारा Zero Fatality Districts के रूप में भी इंगित हैं।

5. इन जिलों में सिविल पुलिस को विशेष दायित्व सौंपे गए हैं।

6. कुल 233 थाने और उनके अंतर्गत 89 क्रिटिकल कॉरिडोर तथा 3000 से अधिक क्रैश लोकेशन की पहचान की गई है।

7. प्रत्येक क्रिटिकल थाने को एल्कोमीटर, स्पीड गन जैसे अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं ।

8. ऐसे थानों में क्रिटिकल कॉरिडोर टीम गठित की जाएगी, जिन्हें एनफोर्समेंट एवं एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन की जिम्मेदारी दी जाएगी।

9. इन टीमों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा ।

10. सड़क इंजीनियरिंग एवं अन्य संबंधित विभागों से समन्वय की जिम्मेदारी संबंधित डीसीपी/एसपी ट्रैफिक पर होगी।

11. समस्त कार्यवाहियों की नियत प्रारूप में समीक्षा एवं नियमित मॉनिटरिंग मुख्यालय स्तर से की जाएगी।

12. इस योजना के कार्यान्वयन हेतु एक विस्तृत SOP (Standard Operating Procedure) जारी की जा रही है, जिसमें सभी चरणों के स्पष्ट दिशा-निर्देश सम्मिलित होंगे।




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