रेहान ख़ान रिपोर्टर फर्रुखाबाद
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मोहर्रम की पहली मजलिस में शामिल हुए मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने किया खिताब, हजरत फातेमा की याद में आयोजनफर्रुखाबाद में मुहर्रम का चांद गुरुवार 26 जून की शाम को देखा जाएगा। चांद के दीदार के साथ 27 जून से चांद सन 1447 हिजरी का आगाज के साथ नया इस्लामी साल शुरू होगा। हिजरी सन का आगाज मुहर्रम महीने से होता है। यौमे आशूरा यानी दसवीं मुहर्रम 6 जुलाई को पड़ेगी। मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। मुहर्रम को इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटना के लिए याद किया जाता है।
इसी महीने में यजीद नाम के एक जालिम बादशाह ने पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने कहा कि मुहर्रम दीन-ए-इस्लाम के मुबारक महीनों में से एक है। मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने बताया कि माहे मुहर्रम शुरू होते ही प्रमुख मस्जिदों व घरों में कर्बला के शहीदों की याद में महफिल व मजलिस शुरू होगी। इमामबाड़ा तैयारी जारी है। भूरावली गली, मादारबाड़ी , घेरशामू खा, भीकमपुरा, बजरिया, मस्जिद तला, असगर रोड, आदि,l इस चांद की तारिक 2,3,4,6,7,8,, व 10 मुहर्रम को जुलूस निकाले जाने की परम्परा है। इसके अलावा जिले के विभिन्न मोहल्लों में स्थित ठंडी सड़क, भूरावली गली , घूमना चौकों से रकाबगंज तिराहा से कर्बला दसवीं मुहर्रम तक भी जुलूस निकाला जाता है।
हजरत सैयदना इमाम हुसैन व उनके जाबाज साथियों की कुर्बानी की याद में पौध रोपण कार्यक्रम करने, गरीबों व जरूरतमंदों को खाना खिलाने की अपील की। इस दौरान नौवीं, दसवीं मुहर्रम की तारीख को रोजा रखने की गुजारिश की। साथ ही जरूरतमंद व गरीब बच्चों को पढ़ने लिखने का सामान मुहैया करवाते हुए अमन व शांति कायम रखने में प्रशासन की हरसंभव मदद करें।